रायपुर। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण नवा रायपुर (अटल नगर) स्थित जंगल सफारी में पर्यटकों की संख्या दिनोदिन घट रही है। कोरोनाकाल के पहले प्रतिदिन २०० से २५० पर्यटक पहुंचे थे, लेकिन अब यह संख्या ३० से ३५ तक सिमट गई है। जिससे जंगल सफारी की आय इतनी कम हो गई है कि, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का भुगतान भी सफारी प्रबंधन नहीं कर पा रहा है। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को पिछले दो माह से वन विभाग भुगतान कर रहा है, जिस वजह से उसका भी खर्चा बढ़ गया है।
७० कर्मचारी दैनिक वेतनभोगी
वर्तमान में जंगल सफारी में लगभग १२३ अधिकारी-कर्मचारी काम कर रहे हंै। इनमें से ७० कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी हैं। इन कर्मचारियों को कलेक्टर दर पर ५०० रुपए रोजाना भुगतान दिया जाता है। संक्रमण फैलने से पूर्व पर्यटकों की आवाजाही से कर्मचारियों का भुगतान और सफारी मेंटेनेंस का खर्च निकल जाता था।
८०० एकड़ में बना है जंगल सफारी
अटल नगर स्थित नंदनवन जंगल सफारी ८०० एकड़ में बना है। विभागीय अधिकारियों द्वारा इसे एशिया का सबसे बड़ा जंगल सफारी बताया जाता है। जंगल सफारी परिसर में बंगाल टाइगर, शेर, भालू, चीतल, काला हिरण, नीलगाय, कोट्री, सांभर, मगरमच्छ और दरियाईघोड़ा है। इन वन्य प्राणियों के अलावा औषधीय पौधों को संयोजित करके जंगल सफारी प्रबंधन ने रखा है।
कोरोना संक्रमण की वजह से पर्यटकों की संख्या का ग्राफ कम हुआ है। पर्यटक नहीं आने से सफारी की आवक कम हो रही है, जिसका सीधा असर सफारी के खजाने पर पड़ रहा है। दैनिक वेतन भोगियों का भुगतान वर्तमान में वन विभाग ने किया है। जुलाई तक सब का भुगतान पूरा हो चुका है।
- एम .मर्सीबेला, डायरेक्टर,
जंगल सफारी